ओटावा: कनाडा और भारत के बीच तनातनी जारी है। इसकी शुरुआत खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के बाद कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के उस बयान से हुई थी, जिसमें उन्होंने इस हत्याकांड के पीछे भारतीय एजेंटों की भूमिका होने की संभावना जताई थी। पीएम ट्रूडो के इस बयान का भारत ने फौरन खंडन किया था और आरोपों को गैर जिम्मेदाराना बताया था। उसके बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद भी शुरू हो गया।
रॉयटर्स के हवाले से कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो का ताजा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा, ‘कनाडा भारत के साथ स्थिति को बढ़ाना नहीं चाहता है। वह नई दिल्ली के साथ जिम्मेदारीपूर्वक और रचनात्मक तरीके से जुड़ना जारी रखेगा। हम कनाडा के परिवारों की मदद के लिए भारत में मौजूद रहना चाहते हैं।’
दरअसल कनाडा के तेवर नरम पड़ने की वजह मोदी सरकार है। मोदी सरकार ने कनाडा से साफ कह दिया है कि वह 10 अक्टूबर तक भारत से 41 राजनयिकों को वापस बुला ले। अगर 10 अक्टूबर के बाद ये राजनयिक भारत में रहते हैं तो उन्हें मिलने वाली राजनयिक छूट खत्म हो जाएगी। इंग्लिश न्यूजपेपर फाइनेंशियल टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के हवाले से ये पता लगा है कि भारत में कनाडा के राजनयिकों की संख्या 62 है, जिसे मोदी सरकार ने घटाकर 21 करने के लिए कहा है।
दरअसल इस बारे में संकेत तो 21 सितंबर को ही मिल गए थे, जब भारत के विदेश मंत्रालय की पीसी के दौरान प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि भारत में कनाडा के राजनयिकों की संख्या बहुत ज्यादा है, जबकि कनाडा में भारत के राजनयिकों की संख्या कम है। इसे कम करने की आवश्यकता है।
कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के सरे शहर में जून 2023 में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या हो गई थी। निज्जर को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकी घोषित किया हुआ था और उस पर 10 लाख रुपए का इनाम भी था। लेकिन 18 सितंबर को कनाडा ने ये आरोप लगाया कि निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है। यही नहीं, कनाडा ने भारत के एक सीनियर डिप्लोमेट को निष्कासित भी कर दिया। इसके बाद से भारत ने अपने तेवर सख्त कर लिए और वह लगातार कनाडा को उसी की भाषा में जवाब दे रहा है।